विविध >> हमारे प्रसिद्ध तीर्थस्थान हमारे प्रसिद्ध तीर्थस्थानपांडुरंग राव
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हमारे देश भारत की गरिमा का बखान...
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
1.हमारा देश और हमारी संस्कृति
हमारा देश भारत है। इस देश में कई महापुरुषों ने जन्म लिया। कवि, गायक,
कलाकार, पंडित, प्रवक्ता, प्रजापालक, विद्वान, वैज्ञानिक, योगी, त्यागी
आदि उन्होंने जनता की भलाई के लिए अपनी प्रतिभा का इस्तेमाल किया और देश
का गौरव बढ़ाया। किस युग में, कहां-कहां किस-किसने और कैसे-कैसे अच्छे काम
किए, यह सब हमारे इतिहास में जान पड़ता है। हमारे देश में पुण्यक्षेत्र
इसके साक्षी हैं।
यहां के पर्वत, नदी गांव, शहर, मंदिर, गुफाएं, इमारतें बांध, विद्यालय धार्मिक संस्थाएं आदि उन महापुरुषों के अच्छे कार्यों को दर्शाते हैं। उनकी तपस्या से देश ने जो प्रगति की, उसे देखकर यहां की नदियां कल-कल करती हैं। समुद्र ऊंची लहरों से उमड़ पड़ते हैं। पर्वत खुशी से देश की रक्षा करते हैं।
इस सांस्कृतिक वैभव को केवल सुनकर संतुष्ट होना काफी नहीं, इसे जी भर देखकर समझना भी जरूरी है। इसीलिए तीर्थयात्राएं और पुण्यक्षेत्रों के संदर्शन करना हमारे राष्ट्रीय कार्यकलापों के अंग बन गए हैं। भारतवर्ष संसार के बड़े-बड़े देशों में एक है।
इतना ही नहीं आध्यात्मिक क्षेत्र में भी इस देश को एक खास स्थान प्राप्त है। वैदिक काल के ऋषियों ने पाप, पुण्य, त्याग, भोग और जीवन का परमार्थ आदि का मनन कर उसका सार इस संसार को भेंट किया है।
यहां के पर्वत, नदी गांव, शहर, मंदिर, गुफाएं, इमारतें बांध, विद्यालय धार्मिक संस्थाएं आदि उन महापुरुषों के अच्छे कार्यों को दर्शाते हैं। उनकी तपस्या से देश ने जो प्रगति की, उसे देखकर यहां की नदियां कल-कल करती हैं। समुद्र ऊंची लहरों से उमड़ पड़ते हैं। पर्वत खुशी से देश की रक्षा करते हैं।
इस सांस्कृतिक वैभव को केवल सुनकर संतुष्ट होना काफी नहीं, इसे जी भर देखकर समझना भी जरूरी है। इसीलिए तीर्थयात्राएं और पुण्यक्षेत्रों के संदर्शन करना हमारे राष्ट्रीय कार्यकलापों के अंग बन गए हैं। भारतवर्ष संसार के बड़े-बड़े देशों में एक है।
इतना ही नहीं आध्यात्मिक क्षेत्र में भी इस देश को एक खास स्थान प्राप्त है। वैदिक काल के ऋषियों ने पाप, पुण्य, त्याग, भोग और जीवन का परमार्थ आदि का मनन कर उसका सार इस संसार को भेंट किया है।
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